जैगुआर कार्स लिमिटेड, जिसे विशेष रूप से जैगुआर (उच्चारित [ˈdʒæɡjuːər]) के रूप में जाना जाता है एक ब्रिटिश लगज़री कार निर्माता है जिसका मुख्यालय कॉवेंट्री, इंग्लैंड में है। यह मार्च 2008 से भारतीय कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड (Tata Motors Ltd.) के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है और व्यापार जैगुआर लैंड रोवर व्यवसाय के रूप में संचालित है।
Jaguar (UK English: /ˈdʒæɡjuː.ər/ JAG-ew-ər, US English: /ˈdʒæɡwɑːr/ JAG-wɑɹ) is the luxury vehicle brand of Jaguar Land Rover,[1] a British multinational car manufacturer with its headquarters in Whitley, Coventry, England, owned by the Indian company Tata Motors since 2008.



जगुआर का मालिक कौन?

भारत की टाटा मोटर्स अब दोनों जगुआर और लैंड रोवर ब्रांडों का मालिक है। इस कंपनी के सभी प्रकार के वाहनों का उत्पादन करता है। आप उन पर छोटी कारों और टाटा मोटर्स के नाम के साथ विशाल डंप ट्रकों पा सकते हैं


    History
टाटा ने चार साल पहले इन कंपनियों को खरीदा है.अमेरिकी कार कंपनी फोर्ड ने 2007 में सिर्फ 50,000 लैंडरोवर और करीब 17,000 जगुआर कारें बेची थीं. उसी साल फोर्ड ने इन कंपनियों को भारत की टाटा के हाथों करीब 2.3 अरब डॉलर में बेच दिया. जगुआर को कुछ सालों पहले ही मशहूर उद्योगपति रतन टाटा ने खरीद लिया था. जी हाँ, यह बिलकुल ही सही बात है. इसके पीछे कही कारणों का होना भी बताया जाता है जिनके बारे में खुद टाटा कैपिटल के CEO प्रवीण काडले ने जानकारी दी है.
    जानते है कारण : -

गौरतलब है कि रतन टाटा के द्वारा सन 1998 में एक कार इंडिका लांच की गई थी लेकिन यह कार मार्केट में बिलकुल भी नहीं चल पाई थी, जिसके कारण कम्पनी को काफी नुकसान का सामना भी करना पड़ा था. इस नाकामी के चलते कई लोगों ने रतन टाटा को कार डिवीजन को बेच देने के लिए कहा और इसके लिए टाटा ने भी अपनी हामी भर दी. इसे बेचने के लिए जिन कंपनियों से बात की गई थी उनमे अमेरिका की मशहूर कंपनी फोर्ड भी शामिल थी.

इसके बाद डील को अंजाम देने के लिए फोर्ड की टीम टाटा के मुंबई स्थित मुख्यालय पर आये और इस बातचीत के चलते ही टाटा को भी फोर्ड हेडक्वार्टर डेट्रॉयट बुलाया गया. इस दौरान जो भी बातचीत हुई उसे टाटा के लिए अपमानजनक बताया गया. बात में ही यह भी कहा गया कि फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने यहाँ तक भी कह दिया कि यदि आपको पैसेंजर कार के बिज़नेस के बारे में कुछ भी जानकारी नही है तो अपने बिज़नेस ही शुरू क्यों किया.

टाटा वहां से वापस लौट आये. और फिर इसके 9 साल बाद यानी सन 2008 के दौरान फोर्ड की स्थिति भी लगभग दिवालिया होने जैसी हो गई. इस समय अमेरिकी ऑटो हब डेट्रॉयट की भी हालत ख़राब होते हुए साफ़ नजर आ रही थी. तब खुद टाटा ने जगुआर-लैंडरोवर (JLR) को खरीदने का फैसला लिया. और तब इस सौदे को उस समय करीब 9300 करोड़ रुपए में अंजाम तक पहुँचाया गया.

तब फोर्ड के मालिक खुद बिल फोर्ड ने टाटा से यह भी कहा कि आप इसे खरीदकर हमपर बहुत बड़ा एहसान कर रहे है. इसे खरीदने के कुछ समय बाद ही टाटा इस कम्पनी को मुनाफे की तरफ खिंच लाये. सूत्रों से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि फ़िलहाल इसी कम्पनी की1.79 लाख करोड़ रूपए है. और टाटा इससे साल दर साल मुनाफा कमा रहे है.
   Jay hind
    Alok Pal