महान और सफल व्यक्ति भी किसी न किसी मोड़ पर हार से इतने निराश हो जाते हैं कि जीवन समाप्त करने चल पड़ते हैं। मगर यदि सही समय पर सही सलाह मिल जाए, तो वही व्यक्ति जीवन में लौटकर इतिहास रच देते हैं।
ऐसा ही वाकया सदी के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के पिता और हिंदी के महान कवि हरिवंशराय बच्चन के साथ हुआ था। वे मां गंगा में डूबकर आत्महत्या करने चले थे, लेकिन ऐन वक्त पर एक अंग्रेज ने उन्हें गीता का ज्ञान सुनाया। इससे वे हतप्रभ रह गए और फिर जीवन की ओर लौट आए।
किस्सा उस दौर का है जब हरिवंशराय बच्चन कक्षा 9 में पढ़ते थे। उस साल वे फेल हो गए थे। इससे निराश बच्चन मन में बहुत-सी उलझनों को लिए गंगा के किनारे पहुंच गए।
उन्होंने तय किया कि वे मां गंगा की गोद में समा जाएंगे और उसकी तलहटी में किसी बेजान पत्थर की तरह जाकर हमेशा के लिए सो जाएंगे। उसी समय एक अंग्रेज अफसर मिस्टर एडम्स गंगा किनारे टहल रहे थे।
उन्होंने बच्चन को हताश देखा तो पास गए और बात करने लगे। बातों-बातों में उन्होंने बच्चन को गीता में कहे गए जीवन-संघर्षके बारे में बताया। एक अंग्रेज के मुंह से गीता का धाराप्रवाह ज्ञान सुनकर बच्चन चौंक गए।
उनका आत्मविश्वास लौट आया। फिर तो उन्होंने प्राणपण से पढ़ाई की और अगले साल अव्वल आए। फिर जीवन के प्रति उनका नजरिया ऐसा बदला कि वे हिंदी के प्रकांड विद्वान और महान कवि तक बने।