सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अक्सर कहते हैं कि 'जब भी वे खुद को जिंदगी की मुश्किलों में घिरा पाते हैं तो अपने पिता हरिवंशराय बच्चन को याद करते हैं। ऐसा करने पर उन्हें कोई न कोई रास्ता मिल ही जाता है।"
आखिर 'मधुशाला" जैसी ख्यात रचना से प्रसिद्ध हुए कवि हरिवंशराय बच्चन की जिंदगी में ऐसा क्या खास था कि उनका जीवन अब तक प्रेरणा देता है?
दरअसल, देश की हिंदी पट्टी में खासे लोकप्रिय कवि बच्चन अध्ययन, मनन, चिंतन और लेखन को जीवन की सफलता का सूत्र मानते थे। वे छोटी-छोटी चीजों में जीवन का सार ढूंढने की कोशिश करते। यही वजह थी कि अपने दौर के अन्य कवि, लेखकों, साहित्यकारों से वे अलग खड़े दिखते थे।
उनके प्रथम विवाह के समय का एक किस्सा बहुत रोचक है। मई 1926 में उनका ब्याह श्यामा देवी के साथ हुआ, तब श्री बच्चन महज 19 साल और श्यामा देवी करीब 14 साल की थीं। मगर छोटी उम्र में भी युवा बच्चन में अध्ययन के प्रति गहरा अनुराग था। उन्होंने पहले अपने परिजनों और फिर ससुराल पक्ष को भी कह भेजा कि वे एक ही शर्त पर विवाह करने के लिए तैयार हैं।
सबको लगा कि युवा बच्चन स्वर्ण या चांदी से बना कोई आभूषण मांग सकते हैं या फिर कपड़ों को लेकर कोई मांग हो। मगर जब बच्चन ने अपनी शर्त का खुलासा किया तो सब उनके साहित्य प्रेम के और मुरीद हो गए। दरअसल, बच्चन ने शर्त रखी थी कि 'विवाह में आशीर्वाद या स्नेह स्वरूप उपहार में मुझे सिर्फ किताबें ही भेंट की जाएं। किताबों के अलावा यदि कोई और भेंट दी जाएगी तो मैं उसे न लेते हुए विनम्रता से लौटा दूंगा। "
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