लंदन। बात सन् 1958 की है। वैज्ञानिक अंतरिक्ष में भारहीनता की चिकित्सकीय बारीकियों पर सिर खपा रहे थे। वे जानना चाहते थे कि अंतरिक्ष में स्तनधारी जीव किस तरह का व्यवहार करते हैं और भारहीनता के कारण उनमें कौन-से परिवर्तन आते हैं।
इसके लिए तय हुआ कि अंतरिक्ष में किसी जीव को भेजा जाए, लेकिन किसे चुनें इस पर काफी विचार हुआ। अंतत: तय हुआ कि एक बिल्ली को भेजा जाए।
वैज्ञानिकों ने कैप्टन ड्रूये पी पार्क्स के साथ एफ-94सी जेट में बिल्ली के बच्चे को 25 हजार फीट की ऊंचाई पर यह देखने के लिए भेजा कि जीरो ग्रेविटी (गुरुत्वाकर्षणहीनता) पर वो किस तरह से व्यवहार करता है।
कैप्टन पार्क्स ने परीक्षण से लौटकर कहा कि- शुक्र है जीरो ग्रेविटी पर हवा में लटकी बिल्ली बिना पंजे और नुकीले दांत वाली गेंद में नहीं बदली, वरना मेरी शामत आ जाती। हालांकि ऐसे हालात में बिल्ली घबरा जरूर गई थी।