यह कहावत गलत नहीं कि 'पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं"। अक्सर महान लोगों की जीवन-कथाएं ये बताती हैं कि बचपन से ही वे सामान्य से हटकर थे। स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के बचपन की एक घटना भी ऐसा ही कुछ बताती है। इस घटना से पता चलता है कि वे छुटपन से ही बहुत संवेदनशील और संगीत को लेकर कितनी समर्पित थीं।
किस्सा उस समय का है जब वे महज 15 साल की थीं। तब वे अपने आस-पड़ोस में रेडियो पर चलने वाले गीतों, भजनों आदि को सुना करतीं। उन्हें रेडियो सुनना न सिर्फ बहुत पसंद था, बल्कि वे रेडियो में प्रसारित होने वाले गानों-भजनों को साथ-साथ गाने का प्रयास भी करतीं। ये सिलसिला कुछ साल तक चला, लेकिन किसी और के यहां जाकर रेडियो सुनना कब तक संभव हो सकता था? ऐसे में किशोरवय लता जब 18 साल की हुईं तो उनके मन में आया कि क्यों न वे खुद का एक रेडियो खरीदें। ऐसा करने पर वे रेडियो पर ज्यादा से ज्यादा समय तक भजन, गीत, कव्वाली या फिल्मी गाने आदि सुन सकती थीं। यह सोचकर उन्होंने इसे अपना संकल्प बना लिया और थोड़े-थोड़े कर रेडियो के लिए पैसा इकठ्ठा करने लगीं। अंतत: एक दिन ऐसा भी आया जब उनके पास रेडियो खरीदने लायक पैसा इकठ्ठा हो गया। वे उस दिन बहुत खुश हुईं, क्योंकि अब अपना सबसे पसंदीदा रेडियो खरीदने जाने वाली थीं। इसके लिए उन्होंने महीनों पैसे बचाए थे और अब स्वयं का रेडियो सुनना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।
तय दिन वे पूरे मन से बाजार जाने के लिए तैयार हुईं। हाथ में वह बचाया हुआ पैसा था जिससे उन्हें रेडियो खरीदना था और मन में वह उत्साह जो उन्होंने सालों से दबाए रखा था। आखिरकार वे दुकान पर पहुंचीं और अपनी पसंद का रेडियो खरीद लिया। वहीं दुकानदार से उन्होंने रेडियो के सारे बटन, फीचर्स आदि के बारे में एक-एक बात गौर से पूछी और समझी।
इस तरह वे खुशी-खुशी रेडियो घर ले आईं और पूरे उत्साह से उसे चालू किया। मगर यह क्या, जैसे ही उन्होंने रेडियो चालू किया उस पर पहली खबर महान गायक व संगीतकार केएल सहगल के निधन की सुनाई दी। इससे लता का मन व्यथा से भर गया। उन्होंने बड़े जतन और बहुत मन से रेडियो खरीदा था और इसी ने उन्हें अपने पसंदीदा गायक व संगीतकार की मौत की खबर सुना दी थी। वे व्यथित हो गईं और तुरंत तय किया, वे यह रेडियो नहीं रखेंगी।
संगीत के प्रति समर्पण और मन में अपार संवेदनशीलता लिए लताजी ने अगले ही दिन वह रेडियो दुकानदार को वापस कर दिया। बाद में उन्होंने कई दिन तक रेडियो नहीं सुना।
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