स्वामी विवेकानंद की तीक्ष्ण बुद्धि, प्रखर मेधा और गूढ़ अध्ययन के आगे विदेशी भी नतमस्तक थे। उनके जीवन से जुड़ा यह रोचक प्रसंग बताता है कि वे कितने विद्वान थे। किस्सा उस समय का है जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका प्रवास पर थे। वहां उनकी धर्मसभाएं होतीं और लोग उनसे आकर मिलते व अपने प्रश्नों का समाधान लेकर जाते।
एक बार ऐसे ही एक जिज्ञासु विदेशी ने स्वामीजी से भारतीय नदियों के बारे में एक सवाल पूछा कि 'स्वामीजी, आपकी नजर में भारत की किस नदी का जल सबसे अच्छा है?" स्वामीजी ने तुरंत जवाब दिया- ' यमुना का जल सभी नदियों के जल से अच्छा है"।
चूंकि वह विदेशी जानता था कि भारत में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है और उसका जल वैज्ञानिक रूप से भी सर्वश्रेष्ठ है, इसलिए उसने फिर पूछा- 'किंतु स्वामीजी आपके देशवासी तो बोलते हैं कि गंगा का जल सबसे अच्छा है"।
इस पर स्वामीजी बोले- 'कौन कहता है कि गंगा एक नदी है। वह तो हमारी मां है और उसका नीर जल नहीं बल्कि अमृत है"। यह सुनकर वहां बैठे सभी लोग स्तब्ध रह गए और स्वामीजी की विद्वता के आगे निरुत्तर हो गए।
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