भारत में क्रिकेट जन-जन की भावनाओं से कितना जुड़ा हुआ खेल है, यह किस्सा इसकी बानगी है। किस्सा नवंबर 2001 का है जब भारतीय टीम टेस्ट सीरीज खेलने दक्षिण अफ्रीका गई थी। वहां एक मैच में सचिन ने गेंदबाजी के लिए बॉल अपने हाथ में ली। उन्होंने देखा कि मैदान में थोड़ी नमी होने से गेंद की सीम में मिट्टी और घास घुस गई है। सचिन ने उसे अंगूठे से साफ किया और गेंद फेंकने लगे।
यह बहुत सामान्य बात थी, लेकिन मैच रेफरी माइक डेनेस ने सचिन पर गेंद से छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया। साथ ही कप्तान सौरव गांगुली पर अपने खिलाड़ियों को नियंत्रित न करने, वीरेंद्र सहवाग पर जरूरत से ज्यादा अपील करने व दीप दासगुप्ता, हरभजन सिंह व बल्लेबाज शिवसुंदर दास पर अन्य कारणों से फीस में कटौती या एक मैच का प्रतिबंध लगा दिया। इससे भारतीय खिलाड़ी हतप्रभ थे क्योंकि सचिन ने गेंद से छेड़छाड़ नहीं की थी और न ही अन्य खिलाड़ियों ने कोई गलती।
मैच में दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों ने भी खूब अपील की और शोर मचाया, लेकिन उन पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं लगा। सचिन सहित सभी खिलाड़ियों को यह बहुत अपमानजनक लगा कि उन्हें बिना गलती के दंडित किया गया। इस पर सबने बीसीसीआई को रेफरी डेनेस की शिकायत की और साफ कर दिया कि अगला मैच नहीं खेलेंगे। इस बीच भारतीय मीडिया ने एक-एक मुद्दे पर गहन पड़ताल कर रिपोर्ट प्रकाशित की और अपने खिलाड़ियों के निर्दोष होने के प्रमाण दिए। भारत में जनता भी इस निर्णय का विरोध करने लगी और अपने खिलाड़ियों के साथ खड़ी हो गई।
ऐसे में सीरीज पर ही संकट मंडराने लगा। इससे दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड में हड़कंप मच गया। बोर्ड ने तुरंत हस्तक्षेप किया और रेफरी डेनेस को अगले मैच से हटा दिया। तब जाकर भारतीय खिलाड़ी अगला मैच खेले।
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