लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम सुनते ही एक ऐसे व्यक्तित्व की छवि मन में उभरती है, जो धीर-गंभीर और फौलादी इरादों वाला हो और अपने लक्ष्य को लेकर अटल हो। सरकार पटेल में ये तमाम खूबियां तो थीं ही, लेकिन वे एक विनोदप्रिय इंसान भी थे, जो कभी-कभार अपने संगी-साथियों से हंसी-ठिठोली करने से नहीं चूकते थे।
उनसे जुड़ा ऐसा ही एक वाकया है, जहां पर उन्होंने महात्मा गांधी से भी मजाक-मजाक में ऐसी बात कह दी कि खुद बापू भी मुस्कराए बगैर नहीं रह सके थे। बात स्वाधीनता संग्राम के दिनों की है। एक बार जेल में महात्मा गांधी के लिए नारियल की रस्सी से बुनी चारपाई आई। सरदार पटेल को लगा कि इस चारपाई पर लेटने से बापू को दिक्कत होगी, लिहाजा उन्होंने कहा कि नारियल की रस्सी को काटकर निवाड़ से बुन दिया जाए। लेकिन सादगी पसंद बापू उसी चारपाई के लिए मान गए।
उन्होंने सरदार पटेल से कहा - 'नारियल की रस्सी में यह फायदा है कि इसमें खटमल हो जाएं तो गरम पानी डालने से निकल जाते हैं।' इसके जवाब में सरदार पटेल ने भी तर्क दिया -'किंतु निवाड़ में खटमल हो जाएं तो केवल धूप में रखने से ही काम हो जाता है।'
इस पर बापू ने अगला तर्क दिया - 'पर निवाड़ मैली जो हो जाती है!' सरदार ने अविलंब जवाब दिया - 'धोबी को भेजिए, समस्या खत्म!' बापू ने अगला तर्क प्रस्तुत किया - 'जानते हो, नारियल की रस्सी से बुनी खाट कई काम आती है। मेरी मां ऐसी खाट से अदरक छीला करती थी।' इस पर सरदार पटेल तपाक से बोले - 'इसीलिए तो मैं आपको इस खाट के लिए मना कर रहा हूं। आपके कृशकाय शरीर पर थोड़ी-सी तो चमड़ी है। इस खाट पर सोने से वह भी छिल जाएगी।'
यह सुनकर बाबू मंद-मंद मुस्करा दिए और आखिरकार निवाड़ से बुनी खाट के लिए राजी हो गए।